भोर Anu Singla 3 years ago भोर होती है हर रोज बहुल के लिए आशा की एक किरण लेकर नऐ विचार नई ख्वाहिशें नई चाह नई भूख जो होती है पद-प्रतिष्ठा धन- दौलत वस्तुओं संबंधों को समेटने की… बहुल के होती है भोर बस वही प्राचीन एक चिर-परिचित भूख लिए रोटी की…..