भव्य मंदिर बना, राम लला का
ना ही कोई उपमा है, ना कोई तोड़ इसकी कला का
सोचा था, चाहा था, उम्मीद थी लगाई,
आशा हुई है पूरी, देखो शुभ घड़ी है आई।
सदियों से प्रतीक्षा थी इस पल की,
टूटी हैं कड़ियां किसी के छ्ल की।
पुष्प बरसाएंगे देव नभ से,
प्रतीक्षा हो पूरी, चाहत थी कब से।
मंदिर पर चमकेगा सूरज भी चम – चम,
मेघों का जल भी बरसेगा छम – छम ।
जय – जय कार गूंज रही अयोध्या में,
नाच रही हैं ,अयोध्या में सखियां छम – छम।
हाथ जोड़कर करें वन्दना रामजी की
रामजी के बिन अयोध्या थी.फीकी ।।
🙏जय श्री राम🙏