Site icon Saavan

मजहब का पहरी

वाह भाई मजहब के ठेकेदारों
क्या खूबी फर्ज निभाया है
दुश्मन लगी है मानव जाति
और काल को मित्र बनाया है
कभी उनकी फिक्र भी कर लेता
जिसे तेरी फिक्र सताती है
कहीं कोई खड़ा चौराहों पर
कहीं जान किसी की जाती है
ऐसे ना बच पाएगा तू
कोरोना कि इस बाढ़ में
कब तक पाखंड रच आएगा तू
यू मजहब की आड़ में
इस पूरे देश की कोशिश को
कुछ पल में यूं ना काम किया
सच बोल यह तेरी गलती थी
या गद्दारी का काम किया
तूने भारत को दर्द दिया
तेरे सारे राज उजागर हैं
सच बोल तेरी नादानी थी
या भारत का सौदागर है

Exit mobile version