Site icon Saavan

मत बांधों मेरी नाव को….

कहाँ गई वो दानवीर कर्ण की संतानें ???
*****************************
____________________________
मत बाँधो मेरी नाव को
तैरने दो
इसे पीर के विशाल सागर में
भर गया है जो
इन दिनों पीड़ितों की
दयनीय दशा देखकर
चौराहों पर अध कटे हाँथों से
भीख मांगते लोगों को देखकर
नहीं निगाह करते
बगल से गुज़र जाते हैं
जो देखते भी हैं
हँस के चले जाते हैं
कहाँ गई वो दानवीर कर्ण की संतानें?
कहाँ गई वो संवेदनाएँ?
क्या ये संवेदनाएँ सिर्फ
कवि की कविताओं तक ही सीमित हैं
या हकीकत की जमीन पर भी है
उनका कुछ वजूद…!!!

Exit mobile version