ममता Pt, vinay shastri 'vinaychand' 3 years ago ममता मूल दुखद तरुवर के ,नैनन नीर बहावे। निर्मोही जड़ जीव जगत में ,सुख सरिता बहावे।। श्वान शुका अजशावक जे , मरत मूढ़मति आवे। निश-दिन मूषक भरत बथेरे, केहू ना दुख मनावै।।