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ममता
ममता मूल दुखद तरुवर के ,नैनन नीर बहावे। निर्मोही जड़ जीव जगत में ,सुख सरिता बहावे।। श्वान शुका अजशावक जे , मरत मूढ़मति आवे। निश-दिन…
अर्थ जगत का सार नही, प्रेम जगत का सार है ।
अर्थ जगत का सार नही, प्रेम जगत का सार है । प्रेम से ही टिकी हुई, धरती, गगन, भुवन है ।। अर्थ जगत का सार…
मैं हूँ नीर
मैं हूँ नीर, आज की समस्या गंभीर मैं सुनाने को अपनी मनोवेदना हूँ बहुत अधीर , मैं हूँ नीर जब मैं निकली श्री शिव की…
जागो हे भरतवंशी
जागो हे भरतवंशी अलसाने की बेर नहीं । सहा सबकी साज़िशों को,करना है अब देर नहीं ।। शालीनता की जिनको कदर नहीं,विष के दाँत छिपाये…
भोजपूरी लोकगीत (पूर्वी धुन ) – तोहरो संघतिया
भोजपूरी लोकगीत (पूर्वी धुन ) – तोहरो संघतिया याद आवे जब तोहरो संघतिया | करे मनवा तनवा के झकझोर | बिसरे नाही प्रेमवा के बतिया…
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