Site icon Saavan

मासूम बचपन

बारिश में भीगते-भागते
खिलखिलाते वो दो बच्चे
ना सिर पर छतरी,
ना तन पर कोई रेनकोट
तेज़ हुई बारिश तो,
बैठ गए लेकर एक दीवार की ओट
चेहरे पर हंसी की फुलझड़ी
बालों से टपक रही थी
मोतियों की लड़ी
भीग कर भी खिलखिला रहे
दिख रहा ना कहीं कोई ग़म,
देख-देख मैं सोच रही थी
यही तो है मासूम बचपन
_____✍️गीता

Exit mobile version