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मिथिलाधाम

पूव बहति कोशी महारानी
उत्तर पर्वतराज हिमालय ।
पच्छिम गंडकी गंग नारायणी
दक्षिण सुरसरि गंग नीरालय।।
मध्य विदेहक धाम विराजित
सुन्दर अति सुखधाम।
‘विनयचंद ‘ई छथि मिथिलाधाम।।

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