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मिली आजादी तेरे सहारे

बापू हमारे, जन- जन के प्यारे
मिली आजादी बापू तेरे सहारे ।।
वर्षों से भारत माता सिसक रही थी
पाँवो में गुलामी की बेङी पङी थी
दिल में हमारे न कोई ललक बची थी
स्वाधीन होने की ज्वाला ठन्ढी पङी थी
छाया था हमपे, पराधीनता के अंधियारे
मिली आजादी बापू तेरे सहारे ।।
व्यापारी बनके जो आए दुष्ट बङे थे
लोलुप दृष्टि से भारत माँ को देख रहे थे
कुनीतियों के कुटक्र में फंसते गये हम
गुलामी की जंजीरों से बंधते गए हम
खो गयी आजादी की बहारे
मिली आजादी बापू तेरे सहारे ।।
फूट की नीति का जाल फैलाया
लालच के दानों से उसको सजाया
हम थे भोले-भाले, समझ न आया
थोङे की चाहत में, सबकुछ गवाया
बंद काली कोठरी में, कहाँ थे नजारे
मिली आजादी बापू तेरे सहारे ।।
चाय के बेगानो में बंधुआ बने हम
नील की खेती से बंज़र हुयी धरातल
तीनकठिया ने, लोगों पे बर्बरता दिखाई
अंग्रेजी नीतियों ने कैसी कहर बरपायी
दिखती कोई ज्योत् नहीं, खो गये उजियारे
मिली आजादी बापू तेरे सहारे ।
दो अक्टूबर को वो शुभ घङी आई
पोरबंदर में, पुतली ने ज्योत जलाई
मोहन था नाम उनका, जिसने आश जगायी
सत्यनिष्ठ था जो, सत्याग्रह में निष्ठा दिखायी,चरखे के बल पे, अंग्रेजी मनसूबे बिगाड़े, मिली आजादी बापू तेरे सहारे ।

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