मुक्तक Anu Somayajula 4 years ago मैं अभिमन्यु मां के पेट में ही मज़दूरी के गुर सीख चुका था; किंतु निकल नहीं पाया इस चक्रव्यूह से- इसी से पीढ़ी दर पीढ़ी मज़दूरी की विरासत बांट रहा हूं !