मैं लिखती हूं कुछ अलग-सा प्रतिमा चौधरी 4 years ago मैं लिखती हूं कुछ अलग-सा, मुझे इंसानों से ,न नफ़रत हैं, बस करती, निंदा बुराइयों की, दुःख देने की , न हसरत है।