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मैं लिखती हूं कुछ अलग-सा

मैं लिखती हूं कुछ अलग-सा,
मुझे इंसानों से ,न नफ़रत हैं,
बस करती, निंदा बुराइयों की,
दुःख देने की , न हसरत है।

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