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मैं सूरज को किसी दिन……………….

मोहब्बत करके पछताने की खुद को यूं सजा दूंगा
तुम्हें यादों में रक्खूंगा मगर दिल से भूला दूंगा।

रहो बेफ्रिक तूफानों तुम्हारा दम भी रखना है
किनारा आने से पहले मैं कश्ती को डूबा दूंगा।

ऐ लंबी और अकेली रातों इतना मत सताओ तुम
मैं सूरज को किसी दिन वक्त से पहले उगा दूंगा।

यूं ही घुट—घुट के रोने की मुझे आदत नहीं यारो
किसी दिन टूट कर बरसूंगा, सब आंसू बहा दूंगा।

कहानी कहने में भी हुनर की होेती जरुरत है
यूं अपना गम सुनाउंगा कि तुम सबको हंसा दूंगा।

जहर मत घोलना नफरत का, तुमको आग से मतलब
मुझे पहले बता देना,मैं अपना घर जला दूंगा।
…………………सतीश कसेरा

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