आओ चलो बिंदास बन
निज राह को नवगीत दो,
हो उलझनें जिस राह में
उस राह को भी गीत दो।
कर बांध मुट्ठी बांध लो
यदि हो अमावस चाँद दो,
रात कर दो दोपहर तुम
सबको उजाला बाँट दो।
असहाय की कर लो मदद
तुम शेर को भी माँद दो।
यदि हों कदम गंदी जगह
खुद को स्वयं से डांट दो।