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ये तो वही किसान है

चिड़ियों के चहचहाने से पहले,
बैलो के रंभाने से पहले जो जाग जाता है,
ये तो वही मेहनत का पुजारी किसान है|
अन्न को उपजाने में जिसकी दिन-रात बहती लहू और जिसकी लगती जान है,
ये तो वही किसान है |

अन्नदाता ही अन्न को आज मोहताज है,
जिसके भरोसे कितनों के चुल्हों में आग सुलगते है,
और जिसके कारण आज दंभ भरते बड़े साहूकार है ,
ये तो वही मेहनतकस किसान हैं|

कर्ज,तकलीफ और बेरोजगारी ही आज किसान की किस्मत बनी है,
घुट-घुट कर जी रहे किसानों की अब हिम्मत भी टूटने लगी है |
अब आत्महत्या करना ही उनकें बस की बात रहीं है,
ना जाने कब किसानों की तरक्की होगी,
उनके बच्चों की बुनियादी जरूरतें पूरी होगी |
ना जाने कब किसानों के चेहरे पर मुस्कान होगी,
ना जाने कब किसानो की किस्मत धनवान होगी |
मेहनत ही जिसका ईमान है,
ये तो वही किसान है |

सरकारें बनती और गिरती है,
पर किसानों की तकदीर कहाँ संवरती है |
कर्ज में डूबा किसान अपनी किस्मत बदलने के लिए आंदोलन कर रहा है,
अपने हक के लिए सड़को पर ठंड मे मर रहा है |
परेशानी जिसके हाथों की लकीरें बनी है,
ये तो वही मेहनत करने वाला किसान है |

हाथ जोड़े जिसका सर झुका है,
उम्मीद भरी आँखो से जो रोटी को देख रहा है,
जिसके लिए सरकार की भी बदल गई ईमान है,
ये तो वही कर्म को ही पूजा समझने वाला किसान है |
किसान गर आंदोलन कर रहा है,तो क्या बुरा कर रहा है ,
वो बस अपनी पसीने की कमाई के लिए दिन-रात लड़ रहा है ,
पर उसकी किस्मत कहाँ बदल रहा है |
सोचो गर किसान ना होते तो हमारा क्या होता,
तो हलक के नीचे इतनी स्वादिष्ट एक निवाला भी नही होता है |
फिर भी समझ नही आता कि हम किसानों की सता को क्यूँ नकारते है ,
हमारे खेतों में हरियाली भूमिपुत्र किसान भाई से है, ये बात हम क्यूँ नहीं स्वीकारते है |

आज फिर से ‘जय जवान,जय किसान का नारा
लगाना होगा,
किसानों का सस्ममान वजूद लौटाना होगा |
किसान भाई! टैक्टर रैली कोई सामाधान नही है ,
मिटा दे कोई आपका वजूद बना आजतक कोई
संविधान नहीं है |
किसान भाईयों को ये समझाना होगा कि वे आंदोलन ना करे,
अपने आपको बदनाम ना करे |
अब वो समय आ गया है जब आपकी भी किस्मत चमकेगी |
गांवो में दूध की नदियाँ तथा खेतों में हरियाली
बिखरेगीं |
ये तो वही किसान है जिसकी कभी बिकती नही ईमान है |

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