Site icon Saavan

ये ज़िन्दगी कैसी

परत दर परत यूँही खुलती सी नज़र आती है ज़िन्दगी,
उधेड़ती तो किसी को सिलती नज़र आती है ज़िन्दगी,

हालात बदलते ही नहीं ऐसा दौर भी आ जाता है कभी,
के जिस्म को काट भूख मिटाती नज़र आती है ज़िन्दगी,

दर्द जितना भी हो सहना खुद ही को तो पड़ता है जब,
चन्द सिक्कों की ख़ातिर बिकती नज़र आती है ज़िन्दगी।।

बदलती है करवटें दिन से लेकर रात के अँधेरे में इतनी,
सच में कितने किरदार निभाती नज़र आती है ज़िन्दगी।।

राही अंजाना

Exit mobile version