Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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शायरी संग्रह भाग 2 ।।
हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
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यादें
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सम्बन्ध
रिश्तों की डोर मे मजबूरियों का यह क्या सिला है, अपनों के बीच यह कैसा नफ़रत का फूल खिला है गुलिस्तां महकता था कभी जिनकी…
Bahut khoob
बहुत खूब कविता जी
Umda!!
nice 🙂