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रूह इश्क जिस्म से कहीं ज्यादा लगा बैठी

जिस्म और रूह की कश्मकश में

रूह इश्क जिस्म से कहीं ज्यादा लगा बैठी

रूह मेरी पिरो कर मेरे ज़ज़्बातो को खुदमें

बन गले का हार तेरा, ख़ुद को सजा बैठी

 

                                 …… यूई

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