कितने ही दिन गुज़रे हैं पर, ना गुजरी वो शाम अभी तक; तुम तो चले गए पर मैं हूँ, खुद में ही गुमनाम अभी तक!…
Tag: शायरी
आज कुछ लिखने को जी करता है
आज कुछ लिखने को जी करता है आज फिर से जीने को जी करता है दबे है जो अहसास ज़हन में जमाने से उनसे कुछ…
“ना पा सका “
ღ_ना ख़ुदी को पा सका, ना ख़ुदा को पा सका; इस तरह से गुम हुआ, मैं मुझे ना पा सका! . जिस मोड़ पे जुदा…
“मैं कौन हूँ”
ღღ_मैं कौन हूँ आखिर, और कहाँ मेरा ठिकाना है; कहाँ से आ रहा हूँ, और कहाँ मुझको जाना है! . किसी मकड़ी के जाले-सा, उलझा…
“महबूब”
शबनम से भीगे लब हैं, और सुर्खरू से रुख़सार; आवाज़ में खनक और, बदन महका हुआ सा है! . इक झूलती सी लट है, लब…
“मुलाकात रहने दो”
ღღ_आज ना ही आओ मिलने, ये मुलाकात रहने दो; कुछ देर को मुझको, आज मेरे ही साथ रहने दो! . अन्धेरों की, उजालों की, हवाओं…
“देखा नहीं तुमने”
ღღ_ख़ुद से लेते हुए इन्तक़ाम, देखा नहीं तुमने; अच्छा हुआ मेरा अस्क़ाम, देखा नहीं तुमने! . उतर ही जाता चेहरा मेरा, शर्म से उसी दम;…
“ग़ज़ल होती है”
ღღ_महबूब से मिलने की, हर तारीख़ ग़ज़ल होती है; महफ़िल में उनके हुस्न की, तारीफ़ ग़ज़ल होती है! . ग़ज़ल होती है महबूब की, बोली…
“ग़ज़ल लिक्खूँगा!”
ღღ_मैं भी लिक्खूँगा किसी रोज़, दास्तान अपनी; मैं भी किसी रोज़, तुझपे इक ग़ज़ल लिक्खूँगा! . लिक्खूँगा कोई शख्स, तो परियों-सा लिक्खूँगा; ग़र गुलों का…
“जाने दे!”
ღღ__महज़ एक लम्हा ही तो हूँ, गुज़र जाने दे; इस तरह तू जिंदगी अपनी, संवर जाने दे! . ले चलें जिस डगर, दुश्वारियाँ मोहब्बत की;…
मगर कब तक!
ღღ_कर तो लूँ मैं इन्तजार, मगर कब तक; लौट आएगा बार-बार, मगर कब तक! . उसे चाहने वालों की, कमी नहीं है दुनिया में; याद…
“अलग है”
ღღ_यूँ हर एक शख्स में अब, मत ढूँढ तू मुझको; मैं “अक्स” हूँ ‘साहब’, मेरा किरदार ही अलग है! . झूठ के सिक्कों से, हर…
ღღ_कभी यूँ भी तो हो
ღღ_कभी यूँ भी तो हो, कि दिल की अमीरी बनी रहे; फिर चाहे तो ज़िन्दगानी, ग़ुरबत में बसर कर दे! . कोई एक शाम फुरसत…
Shayari
दर्द है आह! है मोहब्बत में मजा भी तो है इश्क गुनाह है मुसीबत है सजा भी तो है ! दो दो जिस्म में एक…
“देर तलक”
ღღ_कल फ़िर से दोस्तों ने, तेरा ज़िक्र किया महफ़िल में; कल फ़िर से अकेले में, तुझे सोंचता रहा मैं देर तलक! . कल फ़िर से…
“ख़ुदा-ख़ुदा करके”
ღღ_तजुर्बे सब हुए मुझको, महज़ उससे वफ़ा करके; दुआ जीने की दी उसने, मुझे खुद से जुदा करके! . मैं कहना चाहता तो हूँ, यकीं…
“नहीं होता”
ღღ_वो चाँद जो दिखता है, वो सबको ही दिखता है; महज़ देख लेने भर से ही, वो हमारा नहीं होता! . दिन तो कट ही…
“कहाँ रहते हो”
ღღ_हम ढूँढ आए ये शहर-ए-तमाम, कहाँ रहते हो; अरे अब आ जाओ कि हुई शाम, कहाँ रहते हो! . इज्जत ख़ुद नहीं कमाई, विरासत ही…
“नहीं देखा”
ღღ_मोहब्बत करके नहीं देखी, तो ये जहाँ नहीं देखा; मेरे महबूब तूने शायद, पूरा आसमां नहीं देखा! . तुझमें खोया जो एक बार, फ़िर मिला…
“बुरा लगता है”
ღღ__तेरे लब पे सिवा मेरे, कोई नाम आये तो बुरा लगता है; इक वही मौसम, जब हर शाम, आये तो बुरा लगता है! . जागते…
“रंग” #2Liner
ღღ__कुछ एक बे-रंग क़तरों में, बह गया ज़िन्दगी का हर एक रंग; . सबक क्या-क्या नहीं सीखे, “अक्स” हमने आंसुओं की जानिब से!!…#अक्स .
“याद”#2Liner…..
ღღ__ना जाने आज इतना, क्यूँ याद आ रहे हो “साहब”; . तुझे भूलने की कोशिश, तो हमने की ही नहीं कभी!!….#अक्स .
“कोई राब्ता तो हो!!.”
ღღ__ठहरा हुआ हूँ कब से, मैं तेरे इन्तज़ार में; आख़िर सफ़र की मेरे, कोई इब्तिदा तो हो! . मंजिल पे मेरी नज़र है, अरसे से…
“डर लगता है!!”
ღღ__जब दर्द भी दर्द ना दे पाए, तो डर लगता है; आशिक़ी हद से गुज़र जाये, तो डर लगता है!! . डर लगता है अक्सर,…
“इलाज” #2Liner-111
ღღ__कुछ इस तरह भी करता है “साहब”, वो मेरे दर्द का इलाज; . कि पहले घाव देता है, फिर अपने आंसुओं से धोता है!!…..#अक्स
“चाँद” #2Liner-110
ღღ__कल शब मिला था इक चाँद, हाँ “साहब” चाँद ही रहा होगा; . मिले भी तो दूर से, प्यार पर गुरूर से, और दोनों ही…
“ना-समझ ख्वाब” #2Liner-109
ღღ__ब-मुश्किल थपकियाँ देकर सुलाती है, नींद मुझको “साहब”; पर कुछ ना-समझ ख्वाब हैं उनके, जो बे-वक़्त जगा देते हैं!!…#अक्स
“मजबूरी” #2Liner-108
ღღ__मजबूरी में सुनने पड़ते हैं “साहब”, लोगों के ताने अक्सर; . कोई भी शख्स इस जहाँ में, शौक़ से रुसवा नहीं होता!!…#अक्स
“गुफ्तगू” #2Liner-108
ღღ__दुश्वारियाँ लाख सही लेकिन, गुफ्तगू करते रहो “साहब”; . मुसलसल चुप रहने से भी कोई, मसला हल नहीं होता!!…..#अक्स
“आवाज़”
ღღ__कौन-सी दुनिया में रहते हो, तुम आज-कल “साहब”; . जो सपनों में भी तुम तक, मेरी आवाज़ नहीं जाती!!….#अक्स
“मजबूरियाँ” #2Liner-107
ღღ__मजबूरियों का आलम कुछ ऐसा भी होता है “साहब”; . मुसाफिर हूँ फिर भी, अपनी मंजिलें छोड़ आया हूँ!!….#अक्स
“ख़ामोशी” #2Liner-106
ღღ__कह तो सब दूँ “साहब”, पर कभी ख़ामोशी भी पढ़ा करो; . वैसे भी मोहब्बत में, हर बात, कहने की नहीं होती!!……#अक्स
“चाँद” #2Liner-106
ღღ__गलतफ़हमी में जागते रहे, रात भर उनको जगता देखकर; . भला क्या ज़रूरत थी चाँद को, यूँ रात में निकलने की!!….#अक्स .
“दस्तक” #2Liner-105
ღღ__कल शब तुम्हारी यादों ने “साहब”, क्या दरवाज़े पर दस्तक दी थी? . सुबह को मेरी गली में, कुछ क़दमों के निशान मिले थे आज!!…..#अक्स
“क़दमों के निशान” #2Liner-104
ღღ__कल भी आये थे “साहब”, घर तक उनके क़दमों के निशान; . वो मुझसे मिलते तो नहीं लेकिन, मिलने आते ज़रूर हैं!!….#अक्स
“असर” #2Liner-104
ღღ__आपकी मोहब्बत का, इतना तो असर हुआ है “साहब”; . कि अब अक्सर वहाँ होता हूँ, जहाँ होता नहीं हूँ मैं !!….#अक्स
“ख्वाब” #2Liner-103
ღღ__गर इजाज़त हो आपकी, तो कुछ ख्वाब देख लूँ “साहब”; . यूँ तो अरसा गुज़र चुका है, आप सुलाने नहीं आये !!….#अक्स
“ख़त” #2Liner-102
ღღ__यूँ भी कई बार “साहब”, मोहब्बत का सिला मिला मुझे; . कि मेरे ख़त के जवाब में, मेरा ही ख़त मिला मुझे!!…..#अक्स
कभी ना जताया
मैं बस ख़ुद से आगे कभी सोच ना पाया तूने मेरा सब सोच के भी कभी ना जताया …… यूई
ज़िंदगी ने जब जब
ज़िंदगी ने जब जब तपती राहों से निकाला मुझको हर बार तेरी खुदायी का मंज़र नजर आया मुझको …. यूई
थोड़ा सा बस संभला हूँ
जन्मो जन्म राहें अपनी भटकाई मैंने इसी लिए तो तेरी राह ख़ुद गंवाई मैंने अब जाके कुछ थोड़ा सा बस संभला हूँ सब सोचे छोड़…
वोह सातों जन्मो का सच
वोह सातों जन्मो का सच दिखता है तुझमें वोही जन्मो का प्यार जो रच दिया है मुझमें खोया रहा उन राहो में बस सिमट कर…
ता-जन्म जिस्म छू कर भी
बस मुसकरा कर तेरी आँखें लूटा देती हैं प्यार इतना ता-जन्म जिस्म छू कर भी ना लूटा पाये कोई इतना …
तेरा हाल-ए-दिल बता देती है
तुझको कुछ कहने की जरूरत ही क्या है मादक आँखें तेरा हाल-ए-दिल बता देती है …. यूई
अपने इश्क की तक़दीर ढूँढता हूँ
तेरी आँखों में अपने इश्क की तक़दीर ढूँढता हूँ हुई जो ना अबतक मुकम्मल वोह तसवीर ढूँढता हूँ …. यूई
तेरी मुसकराती आँखों में
तेरी मुसकराती आँखों में सब कुछ दिखता है इन मुस्कराहटों के पीछे भी कुछ दिखता है दर्द जो छुपा बरसों से इनमें वोह दिखता हैं…
आँखें तेरी वोह सच्चाई
लोग तो करते हैं बातें सच्ची चाहतों की आँखें तेरी वोह सच्चाई बयान करती हैं …. यूई
सच्चाई है तेरी बातों में
सच्चाई है तेरी बातों में सच्चाई है तेरी सोचों में इसी सच्चाई में बसा लो मुझको कुछ तो ख़ुद सा बना लो मुझको …
“ख़ुदकुशी” #2Liner-101
ღღ__न जाने किस कशिश से कब्र ने, पुकारा था आज “साहब”; . कि ना चाहते हुए भी मुझको, आज ख़ुदकुशी करनी पड़ी!!…#अक्स .