पूस की ठंड में,
वह सिकुड़ता सिमटता सा जा रहा था
कोहरा भी उसकी ओर आ रहा था
सूर्य भी धरा से विदा लेकर,
अपने भवन जा रहा था
दिन ढलने लगा था,
तिमिर छलने लगा था
आग तापने की सोची उसने,
तभी झमाझम जल गिरने लगा था
फुटपाथ पर इतनी ठंड में,
कहां जाए वो बेचारा
ना कोई घर है उसका,
ना कोई है सहारा
बचने को आ गया,
एक छप्पर के नीचे
एक छोटी सी शॉल को
लपेटता ही जा रहा है,
तभी उसने देखा कि,
सामने से कोई आ रहा है
अधेड़ उम्र की एक महिला आ गई,
उसको एक स्वेटर थमा गई
आ गई उसकी जान में जान
एक पल को लगा उसे,
जैसे उसकी मां आ गई।
_____✍️गीता