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” लूटा जाता हूँ , ” मैं ” “

कफ़स दिल में कुछ जज़्बात .. आबो संग बीता जाता हूँ ,  ” मैँ “…..

पुष्प हूँ , खिलनें के लिए बना हूँ ….

 

फ़िर भी ना जाने क्यों , मुरझा जाता हूँ , ” मैँ “….

 

ज़रा कर इक निग़ाह मेरी और , ए – मेहरबान …..

 

 

रंज में रहता हूँ , फिर भी अपनों पर ख़ुशियां लूटा जाता हूँ , ” मैं ” 

 

पंकजोम ” प्रेम “

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