” लूटा जाता हूँ , ” मैं ” “
कफ़स दिल में कुछ जज़्बात .. आबो संग बीता जाता हूँ , ” मैँ “…..
पुष्प हूँ , खिलनें के लिए बना हूँ ….
फ़िर भी ना जाने क्यों , मुरझा जाता हूँ , ” मैँ “….
ज़रा कर इक निग़ाह मेरी और , ए – मेहरबान …..
रंज में रहता हूँ , फिर भी अपनों पर ख़ुशियां लूटा जाता हूँ , ” मैं ”
पंकजोम ” प्रेम “
बहुत खूब… क्या लिखा है
Sukkriyaa ji…
Laazbaab janaab
Apka Sukkriya…….janab
very beautiful poem 🙂
Thnquuu anuu ji..
words are not enough to praise your poem..nice one!
Thanquuuu ji…
ज़रा कर इक निग़ाह मेरी और , ए – मेहरबान …
Bahut khoob
बहुत सुंदर