लेखन Geeta kumari 3 years ago मन के भाव लिखा करती हूँ, ज़िन्दगी की धूप और छाॅंव लिखा करती हूँ। कभी “खुशियाँ” तो कभी, “घाव” लिखा करती हूँ। आभार आपका आप इसे कविता कहते हैं, मैं तो बस जज़्बात लिखा करती हूँ। कभी दुनियाँ के, कभी निज-हालात लिखा करती हूँ॥ _______✍गीता