लोकतंत्र में कवि Satish Chandra Pandey 4 years ago लोकतंत्र के वृहद भवन का मुझको स्तम्भ मानो न मानो मैं धरम जाति भेदों से ऊपर आम जनता की बातें लिखूंगा। जो घटित हो रहा है लिखूंगा जो गलत हो रहा है कहूंगा, सब चलें अपने कर्तव्य पथ पर ऐसी कविताएं करता रहूंगा। डॉ0 सतीश पाण्डेय