लोकतंत्र में कवि
लोकतंत्र के वृहद भवन का
मुझको स्तम्भ मानो न मानो
मैं धरम जाति भेदों से ऊपर
आम जनता की बातें लिखूंगा।
जो घटित हो रहा है लिखूंगा
जो गलत हो रहा है कहूंगा,
सब चलें अपने कर्तव्य पथ पर
ऐसी कविताएं करता रहूंगा।
डॉ0 सतीश पाण्डेय
लोकतंत्र के वृहद भवन का
मुझको स्तम्भ मानो न मानो
मैं धरम जाति भेदों से ऊपर
आम जनता की बातें लिखूंगा।
जो घटित हो रहा है लिखूंगा
जो गलत हो रहा है कहूंगा,
सब चलें अपने कर्तव्य पथ पर
ऐसी कविताएं करता रहूंगा।
डॉ0 सतीश पाण्डेय
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वाह
सादर धन्यवाद जी
सटीक कथन
धन्यवाद
सुंदर
सादर धन्यवाद आदरणीया
🙏
बिल्कुल जी ! इतिहास गवाह है, जनता में जोश ,उत्साह, उमंग भरने वाले हमारे साहित्यकार ही थे। सच में साहित्य जनता का दर्पण है।
विद्वान रचनाकार मानुष जी , आपकी सुन्दर टिप्पणी हेतु सादर धन्यवाद व आभार
बहुत सुंदर
हार्दिक आभार
बिलकुल सही
धन्यवाद, आदरणीया
ऐसी कविता ही समय की मांग है
धन्यवाद जी
👌