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लफ़्ज ढूढ रहे है बसेरा तबाही में कहीं

है हर तरफ़ शोर तबाही का
गुमराह है रूह, दबी हुई सी कहीं
डूब गया है सूरज उम्मीद का
लफ़्ज ढूढ रहे है बसेरा तबाही में कहीं

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