आ गई मैं मंदिर में,
धोकर अपने हाथ पैर
ताकि संग मेरे ना आए,
कोई कपट कोई बैर
घंटा बजाकर सुना मधुर स्वर,
उसकी तरंगों से धार्मिक हुए विचार
धूप दीप नैवेद्य चढ़ाकर,
करूं वंदना हाथ जोड़कर
पहनाऊं पुष्पों का हार,
भावुक हो भगवान को देखा
हो गई अब आनंदित “गीता’
*****✍️गीता