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शहीदों को नमन

नमन आज़ादी के परवानों का।
वंदन क्रांति वीर जवानों का।।

भगत, सुखदेव क्रांति वीरों के,
इंक़लाब का डंका बजता था।
‘तिलक’ के विचारों का तिलक,
राजगुरु के भाल सजता था।
आज़ाद भारत का सपना,
दिलों में इनके बसता था।
स्वराज के अधिकार को पाना,
ख़्वाब आज़ादी के अरमानों का।
नमन आज़ादी के परवानों का।
वंदन क्रांति वीर जवानों का।।

अंग्रेजी हुकूमत हिला डाली,
क्रांतिकारियों की टोली।
फिरंगी डर से कांपते,
सुन इंक़लाब की बोली।
‘लाला’ का बदला लिया,
मार सांडर्स को गोली।
बहुत सह चुके, ज़ुल्मो-सितम,
संकल्प, दमन सभी हैवानों का।
नमन आज़ादी के परवानों का।
वंदन क्रांति वीर जवानों का।।

बहरी सरकार को सुनाने,
भरी सभा बम फोड़ा था।
अपनी बात रखने को,
लिख पर्चा एक छोड़ा था।
‘साइमन कमीशन’ के खिलाफ,
शोषण पर चुप्पी तोड़ा था।
सिंहों की गर्जना सुन हिला,
तख्त फिरंगी हुक्मरानों का।
नमन आज़ादी के परवानों का।
वंदन क्रांति वीर जवानों का।।

इनके देश भक्ति को,
अपराध का नाम मिला।
चला ढोंग मुकदमें का,
मृत्यु दंड पैगाम मिला।
रात में इन कायरों से,
फांसी का इनाम मिला।
सांसें छिन ली, असमय ही तुमने,
आवाज़ ना घोंटा आह्वानों का।
नमन आज़ादी के परवानों का।
वंदन क्रांति वीर जवानों का।।

हंसते हुए चुम,
सूली पर वह झूल गए।
मां भारती पर,
मां की ममता भूल गए।
प्रबल हुआ संग्राम,
दे उनकी छाती में शूल गए।
शहादत उनकी बनी आंदोलन,
रण शंखनाद हुआ दीवानों का।
नमन आज़ादी के परवानों का।
वंदन क्रांति वीर जवानों का।।

“आंखें नम हुई, कर उन शहीदों को याद।
बुलंद उद्घोष हुआ, उनकी शहादत के बाद।
अंग्रेजों भारत छोड़ो, अंग्रेजों भारत छोड़ो,
इंकलाब जिंदाबाद, इंकलाब जिंदाबाद।”

देवेश साखरे ‘देव’

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