Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-9
दुर्योधन भले हीं खलनायक था ,पर कमजोर नहीं । श्रीकृष्ण का रौद्र रूप देखने के बाद भी उनसे भिड़ने से नहीं कतराता । तो जरूरत…
शायरी
आसमान देखते ही सिहर जाता, जब गुनहगारे पंछी को खुले आसमान मे फिरते देखता।
इंसान और मै
इंसान और मै मन्दिर , मस्जिद नहीं देखता हूं उस में बेठा भगवान देखता हूं हिन्दू, मुस्लिम नहीं देखताहू इंसान में इंसान देखता हूं हैरान…
चले आओ मेरी आँखों का पानी देखते जाओ
गजल : कुमार अरविन्द चले आओ मेरी आंखों का पानी देखते जाओ | कहानी है तुम्हारी ही , निशानी देखते जाओ | मैं जिन्दा हूं…
वाह
धन्यवाद
वाह