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शौर्य, साहस साथ रख

मत बहा आँसू
पी जा दर्द भी है तो,
काम ले हिम्मत से
आंसू हैं अमी का जल,
नहीं होना विकल
सब कुछ ठीक होगा
और आयेगा सुहाना कल।
वक्त सब दिन
एक सा रहता नहीं है मान ले,
मधुमास को पतझड़ जरूरी
सत्य है यह जान ले।
दुःख व सुख का चक्र
चलता ही रहा है,
परीक्षा आदमी की
दर्द लेता ही रहा है,
एक भी इससे अछूता
रह न पाया।
किसी को कुछ
किसी को कुछ,
दुखों को झेलते हैं सब
बिना कष्टों के आखिर,
कौन मंजिल जीत पाया।
शौर्य, साहस साथ रख
आंसू नहीं, शुचि प्रज्वलित कर,
ठान ले उत्साह से
निज कामना को तू फलित कर।
— डॉ0 सतीश चंद्र पाण्डेय

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