खिलौना मत समझना
किसी धनहीन को तुम
मन चले तोड़ दिया
मन चले जोड़ लिया।
भूख पर वार करके
दबाना मत उसे तुम,
दिखाकर लोभ-लिप्सा
दबाना मत उसे तुम।
सरल, कोमल व भोला
मुफलिसी का हृदय है,
दिखाकर शान अपनी
लुभाना मत उसे तुम।
अहमिका में स्वयं की
सत्य को भूलना मत
संपदा देखकर तुम
मनुज को तोलना मत।
अक्ल को साफ रखना
शक्ल मुस्कान रखना
धन नहीं मन का मानक
सदा यह भान रखना।