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सबकी कदर कर ले

बरस ना जाये फिर नैना , तू दिल मे कैद कही वो अब्र कर ले..

तो क्या हुआ , अगर कुछ ख्वाईसे पूरी ना हुई तेरी ….

तू अधूरी ख्वाईसों संग पूरा ये सफ़र कर ले…

 

रिश्तो की रस्में दिल से निभा .

शामिल उनकी हर ख़बर में , अपनी ख़बर कर ले…

 

जीते ज़ी का हैं सब झमेला …

तू क़दरदान बन , सबकी कदर कर ले…..

 

खामोश लफ्ज़ो में छिपी हैँ एक ख़ुशी …..

तू वो ख़ुशी महसूस करने , थोड़ा सब्र कर ले…

 

आगे का सफ़र थोड़ा तन्हा कटेगा…

इत्मीनान से कटे , तो थोड़ी फ़िक्र कर ले…..

 

पता हैं क़ायनात को तेरे साग़र – ए – इश्क़ का …..

तू इज़हार करने , बेताब दिल की  एक – एक लहर कर ले….

 

 

अकेलेपन की चिंगारी दे रही है दस्तक ” पंकजोम प्रेम “….

इसके आग बनने से पहले ,  महफूज़  उसके साथ का नगर कर ले .

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