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सबसे बढ़कर देश की शान

छोड़ चुके थे, जीवन अपना
जीने की वो आशा मे।
तोड चुके थे, अपना हर सपना
सपनो की वो, आशा मे।
अनेक हुए बलिदान ओर,
कई ने दे दी अपनी जान
लेकिन ठान उन्होंने रखा था कि,
सबसे बढ़कर देश की शान।
न देखा था धर्म उन्होंने,
न ही किया था, जातिवाद
उखाड़ उन्होंने फैका था,
इस भूमि से आतंकवाद।
तब स्वतन्त्र हुआ था, भारत मेरा
पर कुछ लोगो ने इसे फिर बखेरा।
अब तो शहीदो की भांति हसते – हसते दे दूंगा अपनी जान
क्योंकि सबसे बढकर मेरे देश शान।

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