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सब ओर खुशी छा जाये

सब ओर खुशी छा जाये
दुख की छाया पड़े न किसी में।
मन मानव का होता है कोमल
आशा होती है मन में,
आशा टूटे कभी न किसी की,
दिल टूटे न कभी भी,
इच्छा आधी रहे न किसी की।
इच्छा ऐसी रहे न किसी में
जिससे चैन हो छिनता,
पूरा हो प्रयत्न पाने का
भीतर रहे न भीतर चिंता।
भीतर चिन्ता खा देती है
बाहर है संघर्ष कड़ा
अतः मनोबल रख कर मन में
हो जा मानव आज खड़ा।

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