साँझ है सखी Satish Chandra Pandey 4 years ago रात और दिन का मिलन साँझ है सखी, कब मिलोगे टकटकी में आंख है सखी। आ रही है रात दूर जा रहा दिन खोल कर कपाट दिल के झाँक ले सखी।