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सावन स्पेशल

बदरा घिर घिर आयी देखो अम्बर के अंसुअन बरसे है
कोई न जाने पीर ह्रदय की पी के मिलन को हिय तरसे है
यह मधुमास यूँ बीत न जाये नैनों से झरता सावन है
जब से पत्र तुम्हारा आया भीगा भीगा सा तन मन है

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