सावन स्पेशल

बदरा घिर घिर आयी देखो अम्बर के अंसुअन बरसे है
कोई न जाने पीर ह्रदय की पी के मिलन को हिय तरसे है
यह मधुमास यूँ बीत न जाये नैनों से झरता सावन है
जब से पत्र तुम्हारा आया भीगा भीगा सा तन मन है

Related Articles

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

Responses

+

New Report

Close