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सिलिंडर न मिला

उज्ज्वला का सिलिंडर
सबको मिला,
सब खुश थे,
मगर वो रात भर सो न पाई।
यह सोचकर कि –
कोई मेरा नाम भी
लिस्ट में जोड़ देता
एक वोट तो मैं भी थी
उसकी आंखें भर आईं।
इधर दौड़ी उधर गई
गांव के मुखिया के पास गई
उसने लिस्ट देखी,
बोला आपका नाम नहीं है,
गलती मेरी नहीं
मुझसे पहले वालों की रही है।
अब तुम जाओ
जो हो पायेगा करेंगे,
तुम्हारी चिट्ठी बनाकर
ऊपर को भेजेंगे,
खुश होकर घर को आ गई,
सिलिंडर कभी न मिला
दूसरी पंचवर्षीय आ गई।

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