सिसकते जज्बात Abhishek kumar 4 years ago सिसकते जज्बात हँसने लगे तुम्हें देखकर न जाने ऐसा क्या था तुममें! जो मेरी बिखरी जिंदगी को तुमने दो पल में ही समेट लिया। और ऐसा समेटा कि मैं कभी फिर बिखर ना सका। टूटा तो बहुत बार पर कभी संभल ना सका।