Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
rajesh arman
हर निभाने के दस्तूर क़र्ज़ है मुझ पे
गोया रसीद पे किया कोई दस्तखत हूँ मैं
राजेश'अरमान '
Related Articles
तुम्हारे बिना..
सूनी-सूनी सी फ़िज़ाऍं हैं, सूनी सी सब दिशाऍं हैं। आप नहीं हैं मेरी ज़िन्दगी में अगर, सूनी-सूनी सी लगती है ड़गर। हमें ही हमारी नहीं…
क्यों सब सूना कर छोड़ गए
सूनी है सब डगर तेरे बिन सूनी है मेरी नजर तेरे बिन सूना है यह शहर तेरे बिन क्यों सब सूना कर छोड़ गए मुझको…
स्वछंद पंछी
मुक्त आकाश में उड़ते स्वछंद पंछी आह स्वाद आ गया कहकर, वाह क्या जिंदगी कोई मुंडेर, कोई दीवार, या कोई सरहद देश की सब अपने…
सूनी सूनी रातों में
सूनी सूनी रातों में कभी कोई दस्तक दे जाता है मेरे दिल के दरवाजे पर… कभी कोईे चेहरा नहीं दिखता बस आहट होती है हल्की…
हर एक की सूनी नज़र है
सुनने को कर्ण यह तरस गये कहां अब कोई अच्छी ख़बर है वेवसी का आलम है यह कैसा पल यह कैसा,हर एक की सूनी नज़र…
nice
बहुत बढ़िया