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सॉझ को आखिर सुख का सवेरा कब तक लिक्खूं

सॉझ को आखिर सुख का सवेरा कब तक लिक्खूं !

उजियारे को घोर अंधेरा कब तक लिक्खूं !!

चारो तरफ है घोर निराशा फिर भी आशा लिख देता हूं !

सारे सुखों पे दुःख का डेरा कब तक लिक्खूं !!

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