स्पर्श करके देखा
स्पर्श करके देखा
जब कभी इस दुनिया को
हाथ मेरे लहूलुहान हुए
स्पर्श करके देखा
जब कभी सन्नाटों को
सन्नाटे कुछ ओर सुनसान हुए
स्पर्श करके देखा
जब कभी अपने ज़ख्मों को
दर्द कुछ और ही मेहरबान हुए
स्पर्श करके देखा
जब कभी तन्हाइयों को
रास्ते और कुछ वीरान हुए
स्पर्श करके देखा
जब कभी फासलों को
निस्बत देख के हैरान हुए
राजेश’अरमान’
वाह