Site icon Saavan

हँसना भूल गए

आज अवसादो से जुङा है रिश्ता अपना
मुस्कुराना भूल गए, कहाँ होता है हंसना अपना
वो बात- बात पर रूठकर चुप होके बैठे रहना
थोड़ी- सी गुदगुदी पे खिलखिला के हंसना
गम की परछाई नहीं,इतरा के तितली-सा उङना
अब तो बस जिम्मेदारियों के बोझ तले दबना
मुस्कुराना भूल गए, कहाँ होता हंसना अपना ।

Exit mobile version