Site icon Saavan

हद को लाँघिये

कुछ नया इतिहास रचना है
तो हद को लाँघिये
अन्यथा रेखा के भीतर,
इंच में कद नापिये।
दूसरे की औऱ अपनी
कीजिये तुलना नहीं,
तुम गलत के सामने
गलती से भी झुकना नहीं।
लिंग से और जाति से
खींची गई रेखा मिटाकर
सब बढ़ें आगे सभी को
खूब अवसर दीजिये।
गर्व का पीकर हलाहल
क्यों दसानन सा बनें
दूसरों की तोड़ रेखा
मान भी मत कीजिये।
तोड़ कर सब रूढ़ियाँ जो
रोकती हैं उन्नयन को,
भेदभावों को मिटाकर,
कुछ नया सा कीजिये।

Exit mobile version