Site icon Saavan

हाँ मैंने उसको रोका था..

‘हाँ मैंने उसको रोका था,
फिर भी वो चौखट लाँघ गई..
जैसे बस जागने वाले तक,
हो इस मुर्गे की बाँग गई..

बाकी सब निष्फल सिद्ध हुआ,
हम क्या थे वो कल सिद्ध हुआ..
उस मिथ्या प्रेम की निद्रा में,
बस झूठ ही निश्छल सिद्ध हुआ..
इक बेबस बाप ने बेटी को,
पहली ही बार तो टोका था..
हाँ मैंने उसको रोका था..
हाँ मैंने उसको रोका था..

क्यूँ आज मेरी समझाइश भी,
उसकी निजता का प्रश्न बनी,
ये जो स्वच्छंद उड़ाने थी,
अब की पीढ़ी का जश्न बनी
उतनी ही बार सचेत किया,
जब-जब भी मिलता मौका था..
हाँ मैंने उसको रोका था..
हाँ मैंने उसको रोका था..

यह सहजबोध था मुझमे कि,
वो लड़का ठीक नही लेकिन..
सब उसको माना बेटी ने,
ली मेरी सीख नही लेकिन..
जो उस जल्लाद ने लौटाया,
वो बस इक खाली खोका था..
हाँ मैंने उसको रोका था..
हाँ मैंने उसको रोका था..’

#धोखा/लवजिहाद

– प्रयाग धर्मानी

Exit mobile version