हे पयस्विनी !
तृप्त कर दे
अपने निर्मल दुग्ध से
दूर कर दे पाप सारे
पंचगव्य से बुद्धि के
शुद्ध कर दे
प्रकृति सारी
अपने सुंदर चरण से
तेरी पूजा से मिले वह फल
जो ना मिले किसी कर्मकाण्ड से
फिर क्यों अस्तित्व तेरा
धुंधलाया हुआ है ?????
यही पूँछे ‘प्रज्ञा’
सारे ब्रह्माण्ड से….