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**हे मनुज**

*****हे मनुज*****
अपनी मेहनत से जो मिले,
उसमें ही तेरा दिल खिले
बढ़ते-चढ़ते देख किसी को,
कभी नहीं किसी का दिल जले
दूजे का हिस्सा ना खाऊं मैं,
निज मेहनत का ही पाऊं मैं
रहे सदा यही भावना
प्रभु से है यही कामना
स्वार्थ भाव मिट कर ,
प्रेम पथ का विस्तार हो
ना रहें किसी से शिकवे-गिले
ऐसा सुन्दर व्यवहार हो,
मेरे हक़ का भी ना ले कोई,
बस, मेरे हिस्से का मुझे मिले
_____✍️गीता

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