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होली

चलो होली मनाते हैं
सड़कों से पत्थर हटा कुछ गुलाल उड़ाते हैं
चलो होली मनाते हैं।
महरूम है बरसों से कोई बस्ती होली में
वहां जाकर गुझिया पापड़ बांट आते हैं
चलो होली मनाते हैं
डर से बंद हो गई है खिड़कियां जिनकी
प्रेम की थोड़ी बारिश से चलो उनको हंसाते हैं
भूल कर सब कुछ चलो एक रंग में रंग जाते हैं
चलो होली मनाते हैं चलो होली मनाते हैं ।

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