बहुत खूब मैंने देखा जमाना
एक शाम और एक सुबह सुहाना
उजली सी ज़िन्दगी पे पाये
कितने रंग मैने ।
एक साथ होने का एक पल सुहाना
बहुत खूब मैने देखा जमाना।
मिर्च जैसी लगती है कभी तेरी बाते
तो कभी तेरी एक याद
हँसा देती है।
मैने देखा एक पल सुहाना।
खूब देखा तुमको बारिशो में
लोगो को भिगाना।
देखा है,मैने तुमको चैन से
बैचैन होते हुए।
अपनी आदतों से दुसरो को
परेशान करते हुए।
बहुत खूब मैने देखा जमाना।
कवि:-अविनाश कुमार
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