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🌲🌲दरख़्तों सी जिंदगी🌲🌲

🌴🌴दरख्तों सी है ज़िन्दगी अपनी🌴🌴
कभी हर साख पर हैं पत्तियां
टूटती….लहराती….
और मिट्टी में मिल जाती….
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कभी हर शाख पर गुल खिलता है
कभी हर शाख वीरान सी नज़र आती है
जिसकी हर एक शाख मृत है……
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🌲🌲बसंत ऋतु आते ही जिसकी हर शाख🌲🌲
पत्तियों से हरी-भरी हो जाती है
जीवंत हो उठता है दरख़्ते का जर्रा जर्रा
जैसें यौवन अंगड़ाइयां ले रहा हो…..
💃💃💃💃💃💃💃
पतझड़ आते ही मानो किसी ने
लूट लिया हो, किसी सुंदरी के अलंकारों को
और विरह की वेदना में व्यथित होकर
वह साज श्रृंगार करना छोड़ चुकी हो…..
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🌹🌹ऐसी ही है जिंदगी “प्रज्ञा”🌹🌹
जो कभी फूल के जैसे खिल उठती हैं
तो कभी काँटो-सी सूख जाया करती है…..
🤦‍♀️🤦‍♀️🤦‍♀️🤦‍♀️🤦‍♀️🤦‍♀️🤦‍♀️🤦‍♀️

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