सोच बिंदास है आपकी
दान है यह महा दान है,
दान अंगों का करने की
सोच का दिल से सम्मान है।
मुक्ति की चाह में खाक होकर
उड़ते रहे हम धुँवा बन
सीमित रहे निज हितों तक
खुद की सेवा में खपता रहा तन।
दान अंगों का कर आपने
नव दिशा दी है इंसान को
कुछ नया कर गुजरने के पथ पर
भेजा है इंसान को।
— डॉ0 सतीश चंद्र पाण्डेय